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कण्ठी छंद "सवेरा" - Basudeo Agarwal "Naman" (Sahitya Arpan)

कविताछंद

कण्ठी छंद "सवेरा"

  • 169
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कण्ठी छंद

हुआ सवेरा।
मिटा अँधेरा।।
सुषुप्त जागो।
खुमार त्यागो।।

सराहना की।
बड़प्पना की।।
न आस राखो।
सुशान्ति चाखो।।

करो भलाई।
यही कमाई।।
सदैव संगी।
कभी न तंगी।।

कुपंथ चालो।
विपत्ति पालो।।
सुपंथ धारो।
कभी न हारो।।
========
कण्ठी छंद विधान-

"जगाग" वर्णी।
सु-छंद 'कण्ठी'।।

"जगाग" = जगण, गुरु - गुरु  
(121  2 - 2), 5 वर्ण, 4  चरण,
2-2 चरण समतुकांत
***********
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया

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Anil Mishra Prahari

Anil Mishra Prahari 2 years ago

Bahut sunder.

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