Or
Create Account l Forgot Password?
कवितानज़्म
मुसलसल गूँजते रहते हैं सन्नाटे कारवाँ के रहगुज़र से गुज़र जाने के बाद, वक़्त रहता है किसीका मुंतज़िर मुसाफ़िर के इधर से गुज़र जाने के बाद!! © dr. n.r.kaswan "bashar" 🍁