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दिल की आवाज़ - Dipak Kumar (Sahitya Arpan)

कवितागजल

दिल की आवाज़

  • 23
  • 3 Min Read

वही दिल है लेकिन जवानी नहीं वो
दिल धड़कता है लेकिन रवानी नहीं वो
उसकी यादें तो दिल में अभी भी है जिंदा
मै दीवाना हूं लेकिन दीवानी नहीं वो

मोहब्बत की भी उम्र होती है शायद
भला उसकी कैसे करू मै शिकायत
दिल के झरोखे में यादें हैं सिमटी
गुज़रा ज़माना कहानी नहीं वो

पल सिमटता ही जाता है हर एक मंज़र
कैसे रोकूँ मै दिल में उमड़ता समंदर
उसकी राहो में नज़रे अभी भी है ठहरी
ढूढ़ता हू निशाँ पर निशानी नहीं वो

उसकी यादों में खोया हुआ रात दिन
जी रहा हूँ मै तशवीर सी जिंदगी
आज भी है डगर पहले जैसे मगर
अब बहारो में शायद रवानी नहीं वो

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