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लबों से बयां नहीं होती - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

लबों से बयां नहीं होती

  • 14
  • 1 Min Read

लफ़्ज़ों में होती है निहाँ तहरे -इबारत से अयाँ नहीं होती
शेर-ओ-सुख़न में पिन्हाँ हर बात लबों से बयां नहीं होती
@बशर

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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ये ज़िन्दगी के रेले
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यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
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प्रपोजल
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वो चांद आज आना
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