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कवितानज़्म
राब्तों में आई गांठ को खुलने में वक़्त लगता है मन मलिन हो जाए तो धुलने में वक़्त लगता है! रिश्तों का अहसास रहता है हर-पल आस-पास पर मनमें रिश्तों का रंग घुलने में वक़्त लगता है!! @"बशर"