कविताहरियाणवी रागिनीलयबद्ध कविताअन्य
ज्यारे जा
●●●●●●
ज्यारे जा ज्यारे कागा
मेरी अरदास तू लैजा
उस कुम्हारण न जाके कह दिए
ज्यारे जा....
मेरी माई सै भूक्खी
मिले ना रोटी सुक्खी
कुक्कर खावेंगे बेटी कह दिए
ज्यारे जा......
दिन यो इब ढलता जावै
कमाई ना जेब में आवै।
बिकती ना चीज़े इब्ब जा कह दिए
ज्यारे जा.....
महंगे माल रे इब्ब जा आगे
सारे जज्बात सै सोगे
रपये की दौड़ सै अंधी कह दिए
ज्यारे जा.......
दिवाली अमीरों की आवै
गरीबी इब मुँह की खावै
खुशियाँ ना मनाण खात्तर कह दिए
ज्यारे जा......... ©- नेहा शर्मा
रचना अच्छी है पर कुक्कर वाली पंक्ति समझ नहीं आई दीदी
कुक्कर मतलब कैसे
बहुत सुदंर पंजाबी मे कवीता। कुक्रर खावेगी का मतलव
जी हरियाणवी में कुक्कर को कैसे कहते हैं। खावेगी मतलब खाएगी।
जी मुझे हरयाणवी लग रही है ?♀️