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ज्या रे ज्या - नेहा शर्मा (Sahitya Arpan)

कविताहरियाणवी रागिनीलयबद्ध कविताअन्य

ज्या रे ज्या

  • 110
  • 3 Min Read

ज्यारे जा
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ज्यारे जा ज्यारे कागा
मेरी अरदास तू लैजा
उस कुम्हारण न जाके कह दिए
ज्यारे जा....

मेरी माई सै भूक्खी
मिले ना रोटी सुक्खी
कुक्कर खावेंगे बेटी कह दिए
ज्यारे जा......

दिन यो इब ढलता जावै
कमाई ना जेब में आवै।
बिकती ना चीज़े इब्ब जा कह दिए
ज्यारे जा.....

महंगे माल रे इब्ब जा आगे
सारे जज्बात सै सोगे
रपये की दौड़ सै अंधी कह दिए
ज्यारे जा.......

दिवाली अमीरों की आवै
गरीबी इब मुँह की खावै
खुशियाँ ना मनाण खात्तर कह दिए
ज्यारे जा......... ©- नेहा शर्मा

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Bhawna Sagar Batra

Bhawna Sagar Batra 3 years ago

रचना अच्छी है पर कुक्कर वाली पंक्ति समझ नहीं आई दीदी

नेहा शर्मा3 years ago

कुक्कर मतलब कैसे

Priyanka Tripathi

Priyanka Tripathi 3 years ago

बहुत सुदंर पंजाबी मे कवीता। कुक्रर खावेगी का मतलव

नेहा शर्मा3 years ago

जी हरियाणवी में कुक्कर को कैसे कहते हैं। खावेगी मतलब खाएगी।

Bhawna Sagar Batra3 years ago

जी मुझे हरयाणवी लग रही है ?‍♀️

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