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मरजाएं ज़हर खाकर - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

मरजाएं ज़हर खाकर

  • 13
  • 2 Min Read

हर-बार लौट आए हम गहरे समंदर में डूबने के लिए जाकर
हासिल सुकूने-क़ल्ब मग़र हुआ नहीं साहिल पर भी आकर
जब समंदर ने ही लौटा दिया बार - बार खाली हाथ हम को
अबतो जी करता है लेके नाम उसका मरजाएं ज़हर खाकर
© बशर. bashar • بَشَر.

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