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कवितानज़्म
सच को दरकार नहीं होती सच को सच साबित करने की ज़रूरत झूठ को होती है सच का माईना साबित करने की सच्चाई तो साफ सफ्फाफ आईने की तरह होती है 'बशर' आईने को ज़रूरत नहीहै खुदको आईना साबित करने की "बशर" بشر