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कवितानज़्म
इक बात समझ नहीं आती है कि दिल से लोग क्यूँ नहीं निकल पाते जिस्म से जान निकल जाती है तो दिल से लोग क्यूँ नहीं निकल पाते © 'बशर' بشر.