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कवितानज़्म
अल्फ़ाज नहीं आवाज़ समझता है लोरी की लय सुर-साज समझता है हम जो भुला बैठे हैं प्यार की भाषा बच्चा वे बातेंसारी आज समझता है @"बशर"