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"चरित्रहीनता" - Poonam Bagadia (Sahitya Arpan)

कहानीसामाजिकअन्य

"चरित्रहीनता"

  • 305
  • 20 Min Read

शीर्षक: "चरित्रहीनता"

समीर सुचि का हाथ थामे जैसे ही कॉफी हाउस में दाखिल हुआ उसके चेहरे का रंग सा उड़ गया!

सामने टेबल पर, पड़ोस में रहने वाली अनु भाभी बैठी थी!

समीर अपना मुँह छिपाने लगा, परन्तु सुचि उत्साह पूर्ण उसकी बाहँ को दोनो हाथो से दबाये मुस्कुराते हुये अंदर की ओर खींचती हुई ले गई!

अंदर का माहौल बिल्कुल ठंडा था चारो तरफ ए सी लगे थे! परन्तु उसके उपरांत भी समीर के माथे पर डर पसीना बन साफ अपनी उपस्थिति जाहिर कर रहा था!
उसकी इस दशा का कारण था सामने बैठी अनु भाभी!

अनु भाभी और रिया दोनो ही बहुत अच्छी सहेलियां है आपस मे, अगर अनु भाभी ने रिया को सुचि और मेरे बारे में कुछ बोला तो रिया मेरी बैंड बाजा देगी ...!

समीर अभी सोच ही रहा था कि सामने से एक बेहद खूबसूरत सजीले नवयुवक ने अनु की ओर हाथ हिला कर इशारा किया!
समीर ने चोर नज़र से अनु की ओर देखा तो जैसे उसका सारा डर कफुर हो चुका था!

अनु ने भी जवाब में उसे हाथ हिला दिया और आंखों से अंदर आने का इशारा किया!

अब समीर ने सीना चौड़ा कर राहत की साँस ली और मन ही मन मुस्काने लगा!
"मैं तो वैसे ही डर रहा था मेरी चोरी आज पकड़ी जायेगी.!"
ये अनु भाभी तो खुद किसी के साथ आई है!
वो अनायास ही हँस पड़ा!

"क्या हुआ!"

उसे हँसता देख सुचि ने मुस्कुराते हुए पूछा

"तुम दो मिनट रुको मैं वॉशरूम होकर आता हूँ!"
कहते हुए समीर उठ कर वॉशरूम की ओर चल दिया!

समीर ने जल्दी से अपना फोन निकाल कर अनु के पति को कॉल किया!
"हैल्लो.. रवि..!
तुम कॉफी हाऊस आओ जल्दी!

"क्या हुआ समीर भाई..?" रवि की आवाज़ में आश्चर्य और एक अज्ञात डर से मिश्रित स्वर गूंजा
"रवि मैने अनु भाभी को किसी लड़के के साथ देखा है"
समीर एक सांस में स्पष्ट बोल गया!
"क्या बक़वास कर रहे हो"!
रवि ने गुस्से से चीखते हुआ कहा !
"यकीन नही है तो 15 मिनट में यहाँ आ कर देखों ..... तुम्हारी पत्नीI किस के साथ रंग रलिया मना रही है..!"
और न जाने कितनी बातें अपनी तरफ से बना कर सच्ची झूठी रवि के कानों में उड़ेल दी!
"भाई आप खुद आकर देखो, भाभी किसके साथ है तभी यकीन होगा..!"
कह कर समीर ने फोन डिस्कनेक्ट किया और कुटिल मुस्कान से खुद को शाबाशी देने लगा!
"अच्छा किया समीर जो रवि को बुला लिया.. बड़ी पतिव्रता बनी फिरती है, आज इसका असली चेहरा इसका पति भी तो देखे..!

समीर खुश होता हुआ अपनी टेबल की ओर बढ़ रहा था की सामने का नज़ारा देख कर समीर बर्फ़ के समान अपने स्थान पर ही जम सा गया!
सामने अनु भाभी और उस युवक के साथ समीर की पत्नी रिया और रिया की मौसेरी बहन बैठी थी!
"रिया यहाँ क्या कर रही है..?"
समीर खुद ही उलझने लगा!
इस उलझन से भागना चाहता था समीर पर तभी अपने नाम की पुकार सुन समीर चौका!
"समीर कब से अकेली बैठी हूँ ..!
चलो ना.. कॉफी ऑडर करो!
सुचि ने समीर की बाहँ को कस कर अपने दोनों हाथो में लेते हुये कहा.!

सुचि के स्वर से आसपास बैठे सभी लोग समीर सुचि की ओर देखने लगे !
आवाज़ सुन कर रिया और अनु ने भी एक साथ अपनी गर्दन घुमा कर आवाज़ की दिशा मे देखा!
"समीर..!!"
रिया खड़े होते हुए लगभग जोर से चिल्लाई!
तत्क्षण ही रवि का प्रवेश कॉफी हाउस में हुआ और आते ही उसने समीर की कॉलर पकड़ ली!
"बता कौन है वो.... जिसे तूने मेरी पत्नी के साथ देखा..!"
रवि का ऐसा रौंद्र रूप देख अनु सहम सी गई!
समीर ने हाथ उठा कर रिया की मौसेरी बहन के साथ बैठे युवक की ओर इशारा किया!
रवि ने गर्दन घुमा कर उस युवक की ओर देखा तो हाथ की पकड़ ढीली पड़ने लगी साथ ही मुँह से निकला
"सन्नी...!!"

"जी जीजा जी..!" सन्नी ने विस्मय से जवाब दिया!

"अनु दी ने मुझे लड़की दिखाने के लिए यहाँ बुलाया था "
सन्नी ने रिया की मौसेरी बहन की ओर शर्मा कर इशारा करते हुए कहा!
सन्नी अनु का चचेरा भाई था!

अब तक रिया जो खामोश थी वो किसी ज्वालामुखी की भांति फुट पड़ी
समीर तुम यहाँ क्या कर रहे हो और ये लड़की कौन है..?
रिया लगातार बोले ही जा रही थी पर समीर का दिमाग सुन हो चुका था
उसकी अंतरात्मा उसे सच का आईना दिखाने लगी
जब वो कॉफी हाउस में सुचि के संग आया था तो अनु भाभी को सन्नी के साथ देख कर गलत समझ बैठा वो रवि को अनु की चरित्रहीनता से अवगत कराना चाहता था परन्तु वो ये भूल गया वो खुद उस समय अनु भाभी के समकक्ष खड़ा था एक ऐसी दीवार के सहारे लकड़ी के पाट पर जहाँ एक सिरे पर अनु भाभी है तो दूसरी ओर वो खुद!
अगर अनु भाभी को धक्का दे कर रवि की नज़रों से गिराया गया तो क्या वो खुद बच पायेगा..?

वो बेवकूफ अनु को चरित्रहीन साबित करने के लिए खुद भूल गया उसका अपना चरित्र क्या है?

©️पूनम बागड़िया "पुनीत"
(नई दिल्ली)
स्वरचित मौलिक रचना

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Bhawna Sagar Batra

Bhawna Sagar Batra 3 years ago

बहुत ही सुंदर ।

Poonam Bagadia3 years ago

शुक्रिया...!

Mamta Gupta

Mamta Gupta 3 years ago

सुंदर रचना। आज का इंसान स्वयं की तरफ नही देख पाता कि खुद कैसा है औऱ दूसरे व्यक्ति पर उंगली उठाने लगता है खासकर महिलाओं पर की।

Poonam Bagadia3 years ago

जी शुक्रिया..! ममता जी गलती महिलाओं की न भी हो तो भी उसी पर उंगली उठाने से नही चूकते लोग यही सच्चाई और विडंबना है नारी की....

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 4 years ago

अच्छी कहानी लिखी है पूनम इसे थोड़ा और तराशने की जरूरत है ।

Poonam Bagadia4 years ago

जी नेहा जी... धन्यवाद! प्रतियोगिता की समयसीमा अनुसार लिखा अगर थोड़ा समय और मिलता तो शायद काफी अच्छे तरीके से अंत कर लिख पाती.. यदि आपकी इज़ाज़त हो तो क्या इसे अडिड कर सकते है..?

Ajaypal Singh

Ajaypal Singh 4 years ago

Shandaar

Poonam Bagadia4 years ago

धन्यवाद

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 4 years ago

Sunder Rachna ..!

Poonam Bagadia4 years ago

शुक्रिया सर...

दादी की परी
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