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सारी क़ायनात बेकार लगती है - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

सारी क़ायनात बेकार लगती है

  • 17
  • 1 Min Read

अब जब येह दिल ही नहीं लगता तो सब रौनक-ओ-मसर्रत-ए-हयात बेकार लगती है
उस का ग़म था तो ठीक था उस के ग़म के बग़ैर येह सारी कायनात बेकार लगती है
@"बशर"

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