Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
पहिया - नेहा शर्मा (Sahitya Arpan)

कविताबाल कवितालयबद्ध कविता

पहिया

  • 132
  • 4 Min Read

चुन्नी मुन्नू खेल रहे थे।
एक पहिये को लकड़ी से धकेल रहे थे।
जैसे जैसे पहिया चलता
वैसे वैसे मुन्नू गाता
तभी पहिये से आवाज एक आयी।
चुन्नी तो बिल्कुल डर गयी
मुन्नू ने हकलाते पूछा
तुमने ऐसे कैसे बोला।
पहिया बोला मैं भी इंसान
फिर भी तुमने मुझे धकेला
काम कई मुझसे हो लेते
पर रहम तुम जरा न खाते।
सुनकर मुन्नू चुन्नी हुए हक्के बक्के
जैसे उनके छुटे छक्के
चुन्नी बोली ऐसा क्यों है भाई।
करेंगे तुम्हारी भी सुनवाई
इस पर पहिया दोनो से बोला
छोड़ो पशुओं को मार डालना।
उनकी चमड़ी से पहिया बनाते
लाज शर्म सब हो बेच खाते।
मुन्नू चुन्नी ने अब ठाना
नही कोई पशु को मारना।
लेकर फोन बाबा का मुन्नू
उनके फोन से स्टेटस डाला
बात मीडिया में तो फैली
पर समस्या ऐसी की ऐसी।
हाथ जोड़ मुन्नू चुन्नी कहते।
जानवर हमारी खातिर सहते।
छोड़ो इन पशुओं को मारना।
मानो अब नेहा का कहना। - नेहा शर्मा

f9ca110c4dcbabd2debf46201eb874b4_1597003961.jpg
user-image
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
तन्हाई
logo.jpeg