Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
रास्ते निकल जाते हैं - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

रास्ते निकल जाते हैं

  • 6
  • 2 Min Read

सबको उनके चाहने वाले कहीं-न-कहीं खैर मिल जाते हैं
गैरों में भी अपने और अपनों में भी यहाँ गैर मिल जाते हैं

जिनकी चुभन के डर से बच कर निकलना चाहे हर कोई
कांटों में भी ख़ुश्बू-ए-चमन लुटाने वाले गुल खिल जाते हैं

हयात-ए-मुस्त'आर की आड़ी- टेढी भूल भुलैया में "बशर"
सफ़र की उलझी हुई इन राहों में भी रास्ते निकल जाते हैं

© डॉ. एन. आर. कस्वाँ "बशर" بشر

1663935559293_1731899460.jpg
user-image
चालाकचतुर बावलागेला आदमी
1663984935016_1738474951.jpg
वक़्त बुरा लगना अब शुरू हो गया
1663935559293_1741149820.jpg
मुझ से मुझ तक का फासला ना मुझसे तय हुआ
20220906_194217_1731986379.jpg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg