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राब्तों से राब्तों का विश्वास मर रहा है - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

राब्तों से राब्तों का विश्वास मर रहा है

  • 67
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हर सू हरसम्त हरवक़्त कूबकू आसपास मर रहा है
अपनों का अपने पास होने का अहसास मर रहा है

फुरक़त फ़िराक़ फासले जुदाई-तन्हाई के सैलाब में
राब्तों से राब्तों का परस्पर सतत विश्वास मर रहा है

© डॉ. एन. आर. कस्वाँ "बशर" 🍁

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