लेखआलेख
प्रिय 2021
तुम्हारी दस्तक काफी नजदीक है।सोचकर उत्साहित हूं,मगर तुम्हारा स्वागत गत वर्षों की तरह नहीं कर पाऊंगी, सोचकर बेहद उदास हूं।
सोचती थी, कोरोना अब अंतिम चरण में चल रहा है,मगर बढ़ती सर्दियां वायरस को छोड़ नहीं रहीं। कोरोना काल से लोग घरों में ही कैद हैं।मार्च से अब तक सभी त्योहार बिना धूमधाम, बिना रिश्तेदारों और दोस्तों के घरों के अंदर बड़े सीमित संसाधनों के साथ ही मनाएं हैं। दीपावली जैसा सबसे बड़ा त्यौहार भी कितनी सादगी, कितने सीमित संसाधन के बिना मिठाईयों और उपहारों के आदान-प्रदान, बिना पटाखों की धूमधड़ाके से मनाया।बस घरों की साफ सफाई, सजावट कर ली और दीप जला लिए।
कुछ लोग जिनकी नौकरियां चली गई थीं , उन्होंने त्यौहार तो क्या ही मनाया होगा,यह सोचकर ही दुःख होता है।
कोरोना ने पिछले आठ-नौ महीनों में देश की अर्थव्यवस्था को भी भारी झटका दिया है , कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
होली, रक्षाबंधन,स्वतंत्रता दिवस, दशहरा,ईद त्योहार जिनसे हम नई ऊर्जा, उमंग उत्साह प्राप्त करते थे,फीके ही बीते।
सामाजिक दूरी की सावधानियों के कारण शादी-विवाह जैसे अवसरों पर भी सीमित भागीदारी,
चेहरे पर मास्क, हाथ में सेनिटाइजर ,परिचित मिलें, तो गले लगने के स्थान पर दो गज की दूरी.. हंसकर स्वागत करें तो हंसी-खुशी दिखाई नहीं देती मास्क के पीछे..हाथ मिलाना, गले लगाना तो भूल ही गए हैं....उफ़..2021 तुम इससे छुटकारा कब दिलवाओगे?
परिवर्तन प्रकृति का नियम है। तुम्हारे आने के साथ वैक्सिन भी आ रही है।तब तक जड़ी- बूटियों , तुलसी ,आवॅला, हल्दी ,अदरक, सौंठ ,लौंग, काली मिर्च, इलायची ,नीम गिलोय, सतावरी, अजवाइन, जावत्री ,ऐलोवेरा ,अश्वगंधा ,गुग्गल ,गुड़ और काढों से काम चलाना है।
तुमने देखा ,गूगल की' ईयर इन सर्च 2020' की लिस्ट में टॉप सर्च में कोरोना वायरस शामिल है। यही नहीं,गूगल पर पूरे साल कोरोना वायरस को ही लोग सर्च करते रहे,फिर मैंने थोड़ा ज्यादा "कोरोना विलाप"किया हो तो,माफ करना।
स्वतन्त्रता दिवस तो "वर्चुअल"मना लिया,"रीयल" गणतंत्र दिवस परेड देखने की भी आशा नहीं है।और हां,2021, इतना जरूर ध्यान रखना कि तुम्हारे समय में हमारे देश की सीमाएं सुरक्षित रहें, सीमा पर तैनात जवान सलामत रहें। बच्चे सुरक्षित रहें,स्कूल,कोलेज खुलें। कारोबार सामान्य हो।अपराध, कालाबाजारी, लूट-पाट, दहशतगर्दी, प्रदूषण, धरने- प्रदर्शन पर लगाम लगे। लोगों को सद्बुद्धि आए वे"खुद जीएं औरों को भी जीने दे"।
सभी अधिकार मांगने से पहले कर्तव्य करना सीखें। पर्यावरण संरक्षण करें।सबके प्रति समभाव रखें।
बस इतना ही,
तुम्हारे शुभ आगमन की प्रतीक्षा में
गीता परिहार
अयोध्या से