कहानीसंस्मरण
*यादों के झरोखे से*
*खुशी बाटने का कोई मौका मत छोड़िये
मैं उस समय अपने बैंक की बिरहाना रोड कानपुर शाखा में कार्यरत था। शायद 1995 की बात रही होगी।यहां 70 ,80 आदमियों का स्टाफ था।यहां की कैंटीन में टिंकू नाम का 12,,13,साल का लड़का काम करता था।श्याम रंग,दुबला पतला,बालो में तेल, नयनों में काजल और साफ सुथरे कपड़े ये उसकी पहचान थी।वह अपने काम में मुस्तैद और बोलने में बड़ा शालीन था।स्टाफ में सब उससे बाल सुलभ हँसी मजाक भी करते।
एक दिन वह नया सफारी पहने कंघी, पट्टी किये,माथे पे टीका लगाये जब आया तो ,किसी ने कहा "टिंकू क्या तेरी शादी पक्की हो गई?" उसने कहा "नहीं सर आज मेरी बर्थ डे है।"
तो फिर घर में केक काटा होगा?
उसने कहा " केक तो नहीं कटा पर माँ ने हलुआ बनाया थाऔर भगवान की तस्वीर के सामने मेरी लम्बी उम्र के लीये पूजा करके टीका लगाया था।"
टिंकू की बात सुन कर मैं कुछ भावुक हो गया।मैंने उससे पूछा क्या तुम्हारा मन है केक काटने का।वह बहुत सकुचाते हुये बोला "हाँ।" टिंकू की बात सुनकर मेरे साथी राकेश ने कहा "गोपाल, आज तुम इससे केक कटवा ही दो"।बस बातों बातों में ही रुपये एकत्र हो गये और विपिन को भेज कर केक ,मोमबत्ती,और कुछ मिठाई भी मंगवा ली।दोपहर लंच में स्टाफ के साथ टिंकू की बर्थ डे हँसी खुशी, सम्पन्न हो गई।टिंकू ने सबके पैर छू कर आशीर्वाद लिया तो लोगों ने भी उसे उपहार के तौर पर नगद रुपये भी दिये, इस बीच जो ग्राहक बैंक में थे वह यह सब देख कर बड़े अचरज में थे कि एक कैंटीन ब्वॉय का बर्थ डे बैंक वाले कितने चाव से मना रहे हैं।
सुबह बारह बजे तक किसी ने नहीं सोचा था कि आज टिंकू की बर्थडे इतने धूम धाम से मनेगी और सारा स्टाफ उसे इतने प्यार से "हैप्पी बर्थ डे"कहकर आशीर्वाद और रुपये देगा।
मैं आज भी इस घटना को याद कर सोचता हूँ अच्छे काम की शुरुवात कोई कर भरदे,उसको पूरा करने वाले मिल ही जाते हैं।
याद नहीं टिंकू ने कब कैंटीन से नौकरी छोड़ दी थी पर इस घटना के करीब दस वर्ष बाद मैं यूनियन क्लब की एक पार्टी में गया हुआ था तभी एक बैरे ने मेरे पैर छुए और कहा "साब आप मुझे पहचाने नहीं, मैं कैंटीन वाला टिंकू हूँ।"टिंकू अब दाढ़ीमूछ वाला हो गया था,मुझे पहचानने में कुछ सेकेंड लग गये।वह बोला "साब आप लोगों ने मेरी केक कटवाकर बर्थ डे मनाई थी मैं कैसे आपको भूल सकता हूँ।"वह कुछ देर चुप रहा फिर उसकी आँखों से आँसू ढलक गये।वह बोला "साब, उसके बाद से आज तक मेरी बर्थ डे फिर कभी नहीं मनी।"मैंने उसे अपने से चिपका लिया।"साब, जबसे माँ मरी है तबसे तो कोई टीका भी नहीँ लगाता।अबतो अपनी बर्थडे हर साल याद भी नही आती।कई दिन बाद याद आती है।पर तब भी कुछ होता थोड़े ही है,बस बैंक में केक काटने वाली बर्थ डे याद कर
कुछ देर के लिए खुश हो लेता हूँ।
साब..! आपको और राकेश सर को तो कभी भूल ही नहीं सकता।"
सोंचता हूँ खुशी बांटने का कोई मौका छोड़ना नहीं चाहिए यह, हम सबका वह जरा सा प्रयास टिंकू की जिंदगी की कितनी बड़ी निधि बना हुआ है।वह आज भी उसको याद कर कितना खुश होता है।
यायावर गोपाल खन्ना
कानपुर