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नया ज़माना नया दौर देखा जाए - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

नया ज़माना नया दौर देखा जाए

  • 81
  • 1 Min Read

गो नया ज़माना नया दौर देखा जाए
कूचा -ए -शहर कोई और देखा जाए

इन गली मुहल्लों से मिल चुके बशर
कोई और अजनबी बतौर देखा जाए

© 'बशर' بشر.

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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ये ज़िन्दगी के रेले
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यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
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प्रपोजल
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वो चांद आज आना
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