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कवितानज़्म
गो नया ज़माना नया दौर देखा जाए कूचा -ए -शहर कोई और देखा जाए इन गली मुहल्लों से मिल चुके बशर कोई और अजनबी बतौर देखा जाए © 'बशर' بشر.