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हर हालात में चलते जाना - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

हर हालात में चलते जाना

  • 7
  • 1 Min Read

गिरना गिरकर उठना और उठकर आगे बढते जाना
दस्तूरे-हयात यही है कि हर हालात में चलते जाना!
@"बशर"

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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ये ज़िन्दगी के रेले
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यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
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प्रपोजल
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वो चांद आज आना
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