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उसी का आस्तां ज़रूरी था क्या - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

उसी का आस्तां ज़रूरी था क्या

  • 84
  • 1 Min Read

तपना गवारा किए नीले अम्बर के तले
सरपर खुला आस्मा ज़रूरी था क्या!

घर पर छप्पर तो था 'बशर' तिरे सरपर
इक उसी का आस्तां ज़रूरी था क्या!

© 'बशर' بشر.

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