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बादल - Beena Phulera (Sahitya Arpan)

कविताबाल कविता

बादल

  • 171
  • 4 Min Read

आए बादल आए बादल
रंग बिरंगे आए बादल
उल्टी नीली छतरी के ऊपर
एक एक कर छाए बादल
काले भूरे नीले बादल
लाल आंखों से घूरे बादल
आड़े तिरछे और खड़े
आसमान पर उखड़े बादल
मुहँ फुला कर निकले घर से
मुठ्ठी भर पानी लाए बादल
सागर से अम्बर को निकले
वाष्प बन इत उत धाए बादल
बड़ा बड़ा आसमान देखकर
तनिक नही घबड़ाए बादल
आये बादल आए बादल
काली काली मुछों वाले
घड़ -घड़, घड़घड़ाए बादल
दिखते आज बहुत गुस्से में
मन ही मन बड़बड़ाए बादल
बाहर मत निकलना घर से
बिजली आज गिराए बादल
भांति भाँति के रूप बनाकर
सबको खूब डराए बादल
तेज हवा ने जब पकड़ा उनको
छुई मूई बन शरमाए बादल
आंधी औऱ तूफ़ान के पीछे
खूब पानी बरसाए बादल
नन्ही नन्ही बूदें बनकर
उतर धरती पर आए बादल
पहुँचे जब मेरे आँगन में
मंद मंद मुस्काए बादल
आये बादल आए बादल
रंग विरंगे आए बादल।

बीना फुलेरा
नैनीताल

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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

बहुत बढ़िया

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

Bahut khoob

प्रपोजल
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