कविताबाल कविता
आए बादल आए बादल
रंग बिरंगे आए बादल
उल्टी नीली छतरी के ऊपर
एक एक कर छाए बादल
काले भूरे नीले बादल
लाल आंखों से घूरे बादल
आड़े तिरछे और खड़े
आसमान पर उखड़े बादल
मुहँ फुला कर निकले घर से
मुठ्ठी भर पानी लाए बादल
सागर से अम्बर को निकले
वाष्प बन इत उत धाए बादल
बड़ा बड़ा आसमान देखकर
तनिक नही घबड़ाए बादल
आये बादल आए बादल
काली काली मुछों वाले
घड़ -घड़, घड़घड़ाए बादल
दिखते आज बहुत गुस्से में
मन ही मन बड़बड़ाए बादल
बाहर मत निकलना घर से
बिजली आज गिराए बादल
भांति भाँति के रूप बनाकर
सबको खूब डराए बादल
तेज हवा ने जब पकड़ा उनको
छुई मूई बन शरमाए बादल
आंधी औऱ तूफ़ान के पीछे
खूब पानी बरसाए बादल
नन्ही नन्ही बूदें बनकर
उतर धरती पर आए बादल
पहुँचे जब मेरे आँगन में
मंद मंद मुस्काए बादल
आये बादल आए बादल
रंग विरंगे आए बादल।
बीना फुलेरा
नैनीताल