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किसीकी शाम -ए -तरब बनो - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

किसीकी शाम -ए -तरब बनो

  • 57
  • 1 Min Read

तुम न वजह किसीके दर्द की जब तब या अब बनो
बनो तो किसी के सुकून का मग़र 'बशर' सबब बनो

सहारा किसी का बनो डूबते हुए का किनारा बनो
सहर -ए-उम्मीद बनो किसी की शाम -ए -तरब बनो

© डॉ. एन. आर. कस्वाँ "बशर"

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