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शीर्षक (दृढ़ निश्चय) - SACHIN KUMAR SONKER (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

शीर्षक (दृढ़ निश्चय)

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शीर्षक (दृढ़ निश्चय)
मेरे अल्फ़ाज़ (सचिन कुमार सोनकर)
मंजिल यूँ ही नही मिलती आसानी से।
मंजिल के लिये चलना पड़ता है।
मंजिल के रास्ते है ,कई सही रास्ता चुनना पड़ता है।
रास्ते है कठिन पर मंजिल के लिये रास्तों पर चलना पड़ता है।
यूँ ही हार मान कर बैठ गये तो मंजिल कैसे पायोगे।
यूँ तो तुम रास्तों में ही भटक जायोगे।
भटकाने वाले बहोत मिलेगे तुमको।
जो तुमको भटकायेगे तुमको तुम्हारे मंजिल से दूर ले जायेगे।
तुमको अड़िग रहना है सही रास्तों पर चलना है।
जो अपने पथ पर अटल है वही सफल है।
एक ना एक दिन तुमको मंजिल मिल जायेगी।
तुम्हारा दृढ़ निश्चय ही तुमको सफलता दिलायेगी।
यही तुम्हारे सफलता की कुँजी कहलायेगी।

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