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अंजाम दोस्ती के फ़ना का न होता - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

अंजाम दोस्ती के फ़ना का न होता

  • 16
  • 1 Min Read

सवाल ग़ुरूर का नहीं मस'अला अगर 'बशर' हमारी अना का न होता
सारा क़ुसूर उनके लहजे का था वर्ना अंजाम दोस्ती के फ़ना का न होता
@"बशर"

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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ये ज़िन्दगी के रेले
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यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
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वो चांद आज आना
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