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कवितानज़्म
ठण्डी ठण्डी सब्ज शजर की छांव में सुकून मिलता है मन को मेरे गाँव में! चल चलें बशर फुर्सत के पल बिताने बेड़ियां शहर की क्यूं पडी हैं पांव में!! @"बशर"