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वो और मैं - नेहा शर्मा (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

वो और मैं

  • 375
  • 6 Min Read

किसी के चले जाने के बाद किस तरह से उनकी अहमियत पता चलती है। उसी के ऊपर लिखी गयी रचना है। जरूर पढियेगा।


कांटा मुझे चुभता था तो हाथ से निकाल देते थे।
मेरे निकले आंसू को हाथ से पोंछ डालते थे।

रूह को जरूरत तेरे जाने के बाद महसूस हुई मुझे
जब संसार के नियम मुझे तेरे नाम से बुलाते थे।

बड़ा तड़पाता है मुझे वो सिंदूर शीशे पर रखा हुआ।
जिसे न लगाने के बहाने मुझे उस समय याद आते थे।

किसके लिए करूँ श्रंगार ये सोचकर रह जाती हूँ।
अब समझ आया जिंदगी आसान नही क्यों बताते थे।

दो जिस्म एक जान जमाने ने कहा था हमको
रूह से रूह का मिलन हमसे ही तो कहलाते थे।

तुम नही पर आसपास ही महसूस करती हूँ तुम्हे
हर दम मुस्कुराना ये बात जमाने वाले बतलाते थे।

इसलिये मुस्कुरा रही हूँ मैं तुम्हे खुद में जिंदा रखने के लिए।
इस बात का अहसास भी तुम मुस्कुराकर कराते थे।

मैं पागल ठहरी जो मिट्टी में इश्क़ को खोजती रही।
लोग जो नही रहे इश्क़ हवाओं में जिंदा कर जाते थे।

कुछ यूं न होकर भी अपने अहसास से भर जाते थे।
हाँ अभी भी पूर्ण ही हो तुम इस बात का हौंसला बढ़ा जाते थे।

पास न होकर भी हर गम से आजादी दिला जाते हो।
भरकर हिम्मत मेरे आंसुओं को भी हरा जाते थे।

इन हवाओं की खुशबू में एक खुशबू हमारी यादों की मिला जाते थे।
हाँ तुम्ही तो हो जो इश्क़ को फिर से जिंदा कर जाते थे।
फिर से जिंदा कर जाते थे। - नेहा शर्मा

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Champa Yadav

Champa Yadav 3 years ago

बहुत... सुन्दर... कविता।

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

बहुत खूबसूरत भाव

शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

किसी के यादों का एहसास हनेशा बहुत कुछ कहला जाता है, और आपकी भी कविता बहुत कुछ कहती हैं। मेम अगर मेरे कहने कोई गलती हो तो माफ करना लेकिन आपकी रचना पढ़ने में थोड़ी असहज लग रही है। अगर विराम चिन्हों का प्रयोग हो तो सहजता होगी ।

नेहा शर्मा3 years ago

जी बेहद शुक्रिया आपका मुझे भी लगा कि रचना अभी थोडा कच्ची है और मैंने पोस्ट करने में जल्दी कर दी। बहुत अच्छा लगा कि आपने नोट किया। ??

Madhu Andhiwal

Madhu Andhiwal 3 years ago

उम्दा

नेहा शर्मा3 years ago

बहुत बहुत शुक्रिया

Sarla Mehta

Sarla Mehta 3 years ago

अत्यंत ह्रदयस्पर्शी रचना

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

बहुत ही खूबसूरत.. मर्मस्पर्शी एहसास.. जीवनसाथी के बिना जीवन निष्प्रांण. सा हो जाता है..!

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