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भ्रष्टाचार ने बदल डाला - umesh shukla (Sahitya Arpan)

कवितागीत

भ्रष्टाचार ने बदल डाला

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हर गली, गांव में गूंजेगा
अब बुलबुलों का गीत
हर दल के नेता बताएंगे
खुद को जनता का मीत
वोट औ समर्थन पाने को
वो देंगे लंबी लंबी तकरीर
बड़े बड़े दावों से रचेंगे वो
क्षेत्र की मनभावन तस्वीर
चुनाव जीतते ही हो जाएंगे
वो अपने क्षेत्र के शहंशाह
फिर उनको कभी सुनाई ही
नहीं देगी वंचितों की आह
पांच साल में बदल जाएगी
उनकी खुद की जीवनशैली
क्षेत्र की जनता वहीं की वहीं
रहेगी, बिल्कुल निपट अकेली
भ्रष्टाचार ने बदल डाला है
लोकतंत्र का सारा पैमाना
पानी के बुलबुलों जैसा है
अब नैतिकता का ठिकाना
लोकतंत्र के तीनों स्तंभों को
नष्ट कर रहे परजीवी तमाम
जनता की पीड़ाएं अनसुनी
सतत ऐश कर रहे हुक्काम

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