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कृष्णानुराग - Rajjansaral (Sahitya Arpan)

कविताभजन

कृष्णानुराग

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अपना कृष्णानुराग

मुरली बजा के श्याम ने बेजान कर दिया ।
ऐसी है तान छेंड़ी के निष्प्राण कर दिया ।।
मुरली बना के ...........

सुध बुध बिसर गई ना रहा होश अब हमें ।
छोंड़ें जो प्राण देंह देना दोस ना हमें ।।
ऐसी बजी है मुरली के बदनाम कर दिया ।
मुरली बजा के .......

जादू भरी ये मुरली कहां पाई तैने श्याम ।
जब से मिली है तुझको हुई ज़िन्दगी गुलाम ।।
जो प्रीत थी छुपी हुई सरेआम कर दिया ।
मुरली बजा के .........

मुरली नहीं है बांँस की सौतन हमारी है ।
अपने तो मात्र एक तुम दुनिया तुम्हारी है ।।
दिन चैन, रात नींद ना वो काम कर दिया ।
मुरली बजा के .........

अब क्या करें जिए ना मरें हाल ये हुआ ।
दिल हमने अपना आज से तेरे नाम कर दिया ।।
मुरली बजा के श्याम ने बेजान कर दिया ।
ऐसी है तान छेड़ी के निष्प्राण कर दिया ।

लिपटी है मोहना के अधर, भाग्यवान तू ।
फिर क्यों ना करे भाग्य पे अपने गुमान तू ।।
राधे के चूर चूर हैं अरमान कर दिया ।
मुरली बजा के श्याम ने बेजान कर दिया ।।

रचनाकार : पं. रज्जन सरल

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