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छल की स्वीकार्यता - Gita Parihar (Sahitya Arpan)

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छल की स्वीकार्यता

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  • 12 Min Read

छल की स्वीकार्यता !
आजकल महाभारत धारावाहिक का प्रसारण हो रहा है।नानी शौर्य को पास ही बैठाती हैं, जिससे समय - समय पर उसकी शंका का समाधान कर सकें ,साथ ही देखती रहें कि वह ‌रुचि ले रहा है अथवा नहीं।
आज युद्ध की समाप्ति हुई पितामह भीष्म को अर्जुन के बाणों द्वारा छलनी किए जाने के दृश्य के साथ ।हृदय विदारक दृश्य था।सबकी आंखें अश्रुपूरित थीं। बहुत देर तक घर में सभी मौन रहे।उदासी को भेद कर शौर्य ने पूछा,"इनके जैसे व्यक्ति का इतना तकलीफ़देह अंत !
नानी को उहापोह से बचा लिया नानाजी ने।वे बोले," बेटा,जीवन भर धर्म का पालन करने वाले, धर्मपरायण लोगों के समस्त पुण्यों का नाश उस पल हो जाता है,
जब वे पाप को पाप कहने और उसका विरोध करने के स्थान पर उस ओर से अपनी आंखें मूंद लेते हैं।
भरी सभा में इन्होंने द्रोपदी के चीरहरण को रोकने का साहस नहीं किया,न ही अधर्मी दुर्योधन के खिलाफ आवाज़ उठायी।ये सबसे बड़े थे,चाहते तो अनर्थ रोक सकते थे।याद रखो बेटा,जब हम अपने आसपास कुछ गलत होता देख कर भी कुछ नहीं करते,तो हम उस पाप के भागी बन जाते हैं,और उसके फल तो भोगने ही पड़ते हैं।"
"क्या जो शिखंडी की आड़ में अर्जुन ने किया वह उचित था?उस समय क्या युद्ध धर्म को ताक पर नहीं रख दिया गया था ?"
"यह सच है किन्तु सत्य, धर्म और मानवता का विनाश करने के लिए अनैतिक और अधर्मी कुचक्र रच रहे हों ,तो नैतिकता और धर्म को पकड़े रखना आत्मघाती होता है।
किंतु अक्सर हमें विवशतावश और परिस्थितियों वंश भी कुछ निर्णय लेने पड़ जाते हैं !"
" कर्ण के साथ भी अन्याय हुआ! कर्ण, जिसने अपने जीवन रक्षक कवच - कुंडल तक दान करने में हिचक नहीं दिखाई, जिसके द्वार से कोई खाली हाथ नहीं गया! जिसने जीवन भर अपमान का घूंट पिया।"
"मत भूलो,उसी कर्ण ने एक स्त्री का अपमान किया और उसी दानवीर ने युद्ध में घायल भूमि पर प्यास से तड़प रहे अभिमन्यु को पानी का गड्ढा समीप होते हुए भी पानी नहीं दिया।"
"किंतु कर्ण ने मित्र धर्म भली-भांति निभाया,दुर्योधन अधर्मी है इस बात को जानते हुए भी उसका साथ दिया। "
हर युग,हर धर्म सही और ग़लत के अपने मापदंड रखता है।जो उस समय सही था ,वह आज भी सही लगे,यह जरूरी नहीं।
राम और कृष्ण युगपुरुष कहलाए किंतु दोनों के आदर्श और मूल्य समान नहीं थे।उनके निर्णय उनकी अपनी परिस्थितियों और समय की मांग थे। दोनों ने पाप का अंत किया।"
"पाप का अंत आवश्यक होता है, माना किंतु इसके लिए छल प्रयोग करने से समाज मूल अराजकता
और नकारात्मकता नहीं फैलेगी?"
"देखो बेटा यदि अनाचार और अधर्म फैल रहा हो तो कठोर होना पड़ता है।सत्य की रक्षा, हर मूल्य पर होनी ही चाहिए,चाह छल से ही।"
गीता परिहार
अयोध्या

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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

??

Gita Parihar3 years ago

आपका बहुत धन्यवाद

दादी की परी
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