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किराए का दफ्तर - Rajjansaral (Sahitya Arpan)

कविताभजन

किराए का दफ्तर

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भजन

बदलना पड़ेगा तुम्हे एक दिन घर।
है जिंदगी एक किराये का दफ्तर ।

आएगा बुलावा तो जाना पडेगा ।
वहांँ पर कोई न बहाना चलेगा ।
हो.. चलेगा न कोई साथी वहांँ पर ।
बदलना .......

पत्नी व बच्चे नहीं साथ देंगे ।
सभी रिस्ते नाते यही पर रहेंगे ।।
दौलत व शोहरत रहेगी यहांँ पर ।।
बदलना पड़ेगा ……

रहेगी कहानी तुम्हारी जहाँ में ।
बस कर्म तेरे रहेंगे जुबां मे ।
भुला देती दुनिया सभी को यूं अक्सर !
बदलना..........

रज्जन सरल
सतना म०प्र०

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