कविताअतुकांत कविता
कामदेव राज
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भारत हो अमेरिका
हर जगह कामदेव का राज एक सा |
लक्ष्मी हर जगह दिखती हावी |
शिवजी में हर किसी को आज
फिर से दिखने लगी है खराबी
सरस्वती के नाम पर
चलता रंग गुलाबी |
न जाने कामदेव ने कितने रंग ले लिए |
हर किसी पर छाए |
विष्णु के भी असली रंग खो गए |
साहित्य से संगीत तक
प्रीत के हर गीत तक
योग और वियोग में
हर कोई ढ़ूढने लगा समाधि ,
संभोग में |
हर रास्ते सहम गए |
हृदय पर धूल जम गए
कामदेव के राज मे,
ब्रह्मा भी फिजूल भए |
कृष्ण तवक्या सिंह
18.02.2018.