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हुनर महज़ लफ़्ज़ों का नाकाफ़ी है - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

हुनर महज़ लफ़्ज़ों का नाकाफ़ी है

  • 7
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हुनर महज़ लफ्जों का नाकाफ़ी है शेर-ओ-सुख़न केलिए
ख़ून-ए-जिगर भी फनकार का चाहिए उसके फ़न केलिए

दाद कुछतो उन सुनने वालों की भी मिलनी चाहिए "बशर"
सुख़नवरी में तिरी कही गई हर उस बात के वज़न केलिए

© डॉ. एन. आर. कस्वाँ "बशर" بشر

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