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चाहत की सबर नहीं होती - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

चाहत की सबर नहीं होती

  • 9
  • 1 Min Read

दिल से मिलने वाले की गोया यहाँपर क़दर नहीं होती
ऐसाभी नहींके चाहनेवाले को इसकी ख़बर नहीं होती

दिवानगी मग़र उसकी चाहत की इस क़दर होती हैकि
कि चाहने वाले को अपनी चाहत की सबर नहीं होती
@"बशर"

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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ये ज़िन्दगी के रेले
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यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
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प्रपोजल
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वो चांद आज आना
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