Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
किये जा रहे थे बसर कर के ख़सारा - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

किये जा रहे थे बसर कर के ख़सारा

  • 7
  • 1 Min Read

क्या हम और क्या इसतरह ख़ामोश रहना हमारा
जब आंखें ही कर गईं बयाँ हाले -दिल दिल सारा
ज़माने की ज़िल्लत ओ रुस्वाई हम करके गवारा
किसी सूरत किये जा रहे थे बसर कर के ख़सारा

@"बशर"

logo.jpeg
user-image
चालाकचतुर बावलागेला आदमी
1663984935016_1738474951.jpg
मुझ से मुझ तक का फासला ना मुझसे तय हुआ
20220906_194217_1731986379.jpg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg