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शाक्य की तलाश - Anujeet Iqbal (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

शाक्य की तलाश

  • 227
  • 3 Min Read

शाक्य की तलाश

कितनी यायावरी, कितनी दीवानगी और कितना ध्यान, तप
"शाक्य" की तलाश में
भस्मीभूत हुआ ये मुख

धारणाओं के विफल अनुष्ठान
विचारों की अवांछनीय खरपतवार
विकारों की बहती प्रचंड धार
अव्यक्त संवाद रचने में मिली हार

मन खोजता रहा निर्मन को
परछाई ढूंढती रही दिनकर को
अंतःकरण उस "विराट" को छू न पाया
कितने उपद्रव उठाये चलती रही

अंततः "अक्रिया" की ठोकर से
चेतना की सतह पर पड़ी दरार
और फूट पड़े मेरे अंतस से
"शाक्य" बन कर जलप्रपात
निकटता की सघनता इतनी कि
चैतन्य ने ले लिया विस्तार
और हुई युगों की क्षुधा शांत


अनुजीत इकबाल

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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 4 years ago

बेहद उम्दा रचना आपकी रचना बहुत गहन होती है और बेहतरीन भी

Anujeet Iqbal4 years ago

आपका प्रेम है

Anujeet Iqbal

Anujeet Iqbal 4 years ago

धन्यवाद साहित्य अर्पण

नेहा शर्मा4 years ago

शुक्रिया

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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प्रपोजल
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माँ
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