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सामने इक किताब वही - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

सामने इक किताब वही

  • 80
  • 1 Min Read

तस्वीर वही तस्व्वुर वही
ख़्याल वही ख़्वाब वही!
हबीब वही रक़ीब वही
मसाइल वही बाब वही!
मौज़ू -ए-तक़रीर जो हो
सामने इक किताब वही!
© 'बशर' بشر.

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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ये ज़िन्दगी के रेले
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यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
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प्रपोजल
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वो चांद आज आना
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