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कवितानज़्म
समंदर में अगर उतर कर नहीं देखा अंदर का "बशर" ने मंज़र नहीं देखा दुनिया पे फतेह करते सिकंदर देखा सिकंदर को हराते कलंदर नहीं देखा © 'बशर' بشر.