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मीर सा नहीं काबिले-बिल-क़स्द ओ कामिल हुआ - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

मीर सा नहीं काबिले-बिल-क़स्द ओ कामिल हुआ

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हुनर वोह शेवा-ए-गुफ़्तार इक मीर के जैसा नहीं किसी के नसीब को हासिल हुआ
अंदाज़े बयाँ दिलकश हुए बहुत मीर सा नहीं काबिले-बिल-क़स्द ओ कामिल हुआ
@ "bashar" بشر

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