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कवितानज़्म
हुनर वोह शेवा-ए-गुफ़्तार इक मीर के जैसा नहीं किसी के नसीब को हासिल हुआ अंदाज़े बयाँ दिलकश हुए बहुत मीर सा नहीं काबिले-बिल-क़स्द ओ कामिल हुआ @ "bashar" بشر