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कवितानज़्म
अपनी इन निगाहों से तुम आज इस तरह अनदेखा तो कर जाओगे! मग़र "बशर" इन्हीं निगाहों तुम इक दिन हम को ढूंढते रह जाओगे! @"बशर"