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रातोंरात कोई मुल्क़ हिंदुस्तान नहीं हो जाता - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

रातोंरात कोई मुल्क़ हिंदुस्तान नहीं हो जाता

  • 74
  • 2 Min Read

धर्म और मज़हब को मानलेने से शख़्स कोई महान नहीं हो जाता
चोटी रखने वाला हिंदु दाडी रखने वाला मुसलमान नहीं हो जाता
तहज़ीबो-तमद्दुन का सिलसिलेवार मुसलसल सफ़र अपने रहगुज़र
सदियों तक चलता है रातोंरात कोई मुल्क़ हिंदुस्तान नहीं हो जाता

@"बशर"

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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ये ज़िन्दगी के रेले
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यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
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प्रपोजल
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वो चांद आज आना
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