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खून पसीना बहाना पड़ता है - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

खून पसीना बहाना पड़ता है

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  • 2 Min Read

आते वक़्त कुछ लाना पड़ता है ना जाते वक़्त कुछ ले जाना पड़ता है,
आने - जाने के दरमियाँ कमबख़्त मग़र येह ज़ालिम ज़माना पड़ता है!

जोर -ओ -जब्र तमाम जुल्म -ओ -सितम जमानेभर के सहने पड़ते हैं,
जीने केलिए मरना पड़ता है मरने केलिए खूनपसीना बहाना पड़ता है!

@"बशर"

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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ये ज़िन्दगी के रेले
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यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
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प्रपोजल
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वो चांद आज आना
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