कवितालयबद्ध कविता
माँ भारती
गीत
जय जय माँ भारती
हम उतारते हैं आरती
रजत किरीट से जड़ित
उतुङ्ग श्रंखलाएं विजित
विश्व भर में जो विदित
स्वर्ण गात ये उभारती
बहती असंख्य हैं सरित
कलकलाते स्वर झरित
धानी चुनर धरती हरित
शस्य श्यामला सँवारती
हिन्द महासागर नमित
चदरी नीली असीमित
धाराएं बहे अनगिनित
चरण तेरे हैं पखारती
जयहिंद सेना अडिग
कभी नहीं है भ्रमित
शस्त्रों से सुसज्जित
बैरियों को बुहारती
जय जय माँ भारती
हम उतारते हैं आरती
सरला मेहता