Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
तू देख, मेरा कृष्णा आ गया! - Bindesh kumar Jha (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

तू देख, मेरा कृष्णा आ गया!

  • 26
  • 4 Min Read

तू देख, मेरा कृष्णा आ गया!

दो हाथ भले ना हो मेरा
पर कोटी हाथ वाला खड़ा है,
तू उठा एक शास्त्र अपनी भुजा से
मेरा साहस ही तुझसे बड़ा है।

दो पैर भले ना हो मेरा
कोटी पंख लगे मुझ में,
मैं नील गगन से आऊंगा
कितना साहस है तुझमें।

भले दो शब्द ना बोल सकूं मैं
गीता वाचक मेरे संग है,
उसकी मुरली की धुन के आगे
नाचता हुआ तेरा पतन है।

देख नाचता हुआ सूरज
ब्रह्मांड जिसके मुख में है,
तू कांप उसकी आहट से
खड़ा हो तेरे सम्मुख है।

तू देख, मेरा कृष्णा आ गया!
सुई से पर्वत का हिसाब लेने,
जा लेके आ अपनी सेना,
अपने कर्मों का हिसाब देने।

नाच रहा था तू किसी के
करुणा भरी गीत पर,
अब नाच तू अकेला ही
बांसुरी के संगीत पर।

बिंदेश कुमार झा

IMG-20240620-WA0008_1718936300.jpg
user-image
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
1663935559293_1726911932.jpg