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जिज्जी भाग 6 - नेहा शर्मा (Sahitya Arpan)

कहानीहास्य व्यंग्य

जिज्जी भाग 6

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  • 14 Min Read

अब हम जिज्जी के इन सुतली बमों से परेशान हो चुके थे। हम दिन रात सोचते कि जिज्जी को हमारी निजी जिंदगी से दूर कैसे रखा जाए। आजकल जिज्जी की एक और बात से हम बहुत ज्यादा परेशान होगये थे। वह हम पर जाने अनजाने बच्चा पैदा करने को दबाव डालने लगी थी। कुछ न कुछ टोंट इधर उधर से उड़कर आ ही जाता था। यह बात भानु के कान में पड़ती उसके पहले हम इस समस्या का उपाय खोजने में लगे हुए थे। अब हमने सोच लिया था बच्चे की किलकारी जब गूंजेंगी तब गूंजेंगी घर में। पर इस बड़ी बच्ची से निजात पाने के लिये हमें यँहा से दूर रहना होगा ताकि जिज्जी और हमारे बीच मर्यादा बनी रहे। साथ ही साथ कोई दखलंदाजी ना हो। भानु घर पर ही थे। हमने भानु को देखकर दांत दिखाये। भानु समझ चुके थे कि कुछ गड़बड़ चल रही है आज शशि के मन में इससे पहले की हम इतराते बलखाते हुए भानु के पास पोहोंचाते, भानु बोल उठे “क्या चाहिये मल्लिकाएँ आजम ये दांतो में कोलगेट का असर है या कुछ और ही है”
“क्या आप भी मैं आपसे दो पल प्यार भरी बात नही कर सकती”।
“कर सकती हो बिल्कुल कर सकती हो,पर तुम्हारी चाल और तुम्हारी ये मुस्कान मुझे डरा रही है, अगर तुम मुझे बिना घुमाए फिराये बता दोगी तो मुझे हार्ट अटैक की आशंका कम हो जाएगी।
ऐसा मत बोलिये आप, अच्छा सुनिए, कल आपके ताऊ के बेटे से बात हुई, शहर से बाहर एक अच्छा प्लाट मिल रहा है। क्यों न हम लोग ले लें। उधर मकान बनाते है वहीं रहते है। कब तक ये किराए के घर मे पड़े रहेंगे”।
हमने बड़ी चालाकी से अपनी बात रख दी।
भानु ने बड़ी गम्भीरता से सोचते हुए “हम्म्म्म तो बात ये है, मैडम जी एक बात तो बताइये, ये अनुराग पर कबसे भरोसा होगया, सबको प्लाट बेचता है, और फिर फँसा देता है। अच्छा है ये घर हम यंही रहेंगे कोई प्लाट नही लेना है, भाजी तरकारी थोड़ा ही है जो और खरीद लो”।
अच्छा ठीक है प्लाट न सही 1 bhk फ्लैट ही देख लेते है। और वैसे भी मुझे कुछ नही सुनना है, मुझे इस शहर से दूर जाना है।
पर क्यों??? कितना अच्छा और शांत शहर है ये। बाद में यही रह लेंगे कोई छोटा सा मकान रहकर।
अब हम पूरा गुस्से में भर गए थे, बोल उठे,
आपको ही लगता है यँहा शांति है, तुम्हारी बहिनिया यँहा हर दिन चली आती है हम कुच्छो नही कहते है, आये दिन हमारी गृहस्थी में टांग अड़ाती है, हम तब भी चुप रहकर सह लेते है, कभी कभी क्या हमेशा हाथ मे कटोरा लेकर बात लेने को चली आती है, शशि आज क्या बनाया है, शशि आज रोटी दे दे, शशि घर मे मटर है क्या, शशि आज कुर्सी दे दे, और उस दिन तो हद ही कर दी, शशि ये AC निकालकर दे दे, हलवा थोड़ा ही है जो बनाकर दे दे, सेम AC उनके घर लगवाया तब भी शांत नही हुई, हमारी कोई जिंदगी है कि नही भानु” बोलो भानु बोलो,
भानु हमारे अंदर जगी उस काली माता को सहमे से आँख फाड़कर देख रहे थे। भानु सोच रहे थे कि आज शशि के अंदर क्या घुस गया है, हमने उनका हाथ पकड़कर झिंझोड़ा तो उनकी तंद्रा टूटी, कुछ बोलो भानु कुछ बोलो, बोलते काहे नही, हम उनका हाथ पकड़कर बोले जा रहे थे,
भानु सकपका कर बोल पड़े, देवी माँ बोलने दोगी तो बोलूंगा ना, मैंने मना कर दिया तो मना कर दिया। और तुम्हारी, जिज्जी की प्रॉब्लम तुम जानो, हमें कोई मतलब नही है, अब चाय पीने का मन है, कड़क सी चाय पिला दो डार्लिंग, कहकर भानु, फ्रेश होने को चल दिये, और हम खड़े उनको ताकते रहे।-नेहा शर्मा

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शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

बाप रे AC भी गया

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

बहुत ही मज़ेदार..! Bouncer डक कर गये पतिदेव..!!

दादी की परी
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