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रचेंगे बिल्कुल अलग हिंदुस्तान - umesh shukla (Sahitya Arpan)

कवितागीत

रचेंगे बिल्कुल अलग हिंदुस्तान

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रचेंगे बिल्कुल अलग हिंदुस्तान


अब कदम कदम मिलाकर
चलिए जन जन के साथ
सब मिल जुल कर सुधार
सकेंगे बिगड़े हुए हालात
हाथ से हाथ मिला कर
कीजिए सामूहिक ऐलान
एकजुट होकर हम रचेंगे
बिल्कुल अलग हिंदुस्तान
उसमें कहीं नहीं होगी बैर
नफ़रत के लिए कोई ठौर
प्यार और परस्पर सद्भाव
का भाव दिखेगा चहुंओर
पूरे जग से तम का अंत
करो हे भुवन भास्कर देव
दूसरों के दुख पीड़ाओं को
समझ सके मनु ही स्वमेव

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