Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
कोरे पन्ने - teena suman (Sahitya Arpan)

कहानीप्रेरणादायक

कोरे पन्ने

  • 249
  • 8 Min Read

कोरे पन्ने

फूलों की माला चढ़ी हुई दादू की तस्वीर, नम आंखों से क्या कुछ नहीं देखा मैंने इन 12 दिनों में ,चाचू और पापा का वसीयत के लिए झगड़ा ,बुआ का अपना हक पाने के लिए तकरार ,मां और चाची की कानाफूसी |
सब कुछ तो था ,पर जिस दुलार को मैं तरसता रहा वह हाथ अब नहीं थे ।
नम आंखों से बढ़ चला में दादू के कमरे की तरफ, जिन सीढ़ियों को बचपन में पल भर में पार कर जाया करता था, आज वही पहाड़ से भी ऊंची लग रही थी| दादू की फेवरेट टेबल और उस पर दादू की कलम ,दादू का ऐनक और दादू की डायरी |..
मेरी नजर पड़ी अध खुली डायरी पर ,और उसमें से छलक रहे कोरे पन्नों पर !जिज्ञासा वश मैंने डायरी को उठा लिया ,,,,याद आया -"दादू को जितना भी देखा, कुछ न कुछ लिखा करते थे ,फिर यह पन्ने कोरे कैसे ??"....मोह वश एक -एक पन्ना पलटते चला गया ,,,दादू ने डायरी को अलग अलग हिस्सों में बांट रखा था ,,बाल्यवस्था, युवावस्था ,प्रौढ़ावस्था और वृद्धावस्था| बाकी तीन भागों में कुछ ना कुछ दादू ने लिखा हुआ था ,
"बचपन की कितनी ही नादानियां ,कितनी शरारते, दादी से विवाह, पापा ,चाचा और बुआ का जन्म, उनकी शरारतें ,मम्मी-पापा की शादी से जुड़ी हुई यादें ,पर!! वृद्धावस्था का पन्ना कोरा था !!
मुझे रह-रह कर अतीत की बातें सारी बातें याद आ रही थी,,,,,,, दादू का अकेला रह जाना ,पापा -चाचू का विदेश चले जाना ,कभी 2 साल ,कभी 3 साल में एक बार मुश्किल से एक या 2 दिन के लिए मिलने आना ,ऐसे में दादू के पास कुछ भी यादें नहीं थी कोरे पन्नों को भरने के लिए....
आंखों में आंसू लिए मैं बड़ी देर तक दादू की डायरी देखता रहा ,,और देखता रहा उन कोरे पन्नों को।: साथ ही एक प्रण भी किया -"अपने मम्मी पापा के वृद्धावस्था के पन्ने में कोरे नहीं रहने दूंगा"..

स्वरचित
टीना सुमन
कोटा राजस्थान

logo.jpeg
user-image
दादी की परी
IMG_20191211_201333_1597932915.JPG