कवितालयबद्ध कविता
खेल मौत का देखकर, हर दिल आज घबराया है।
देखो देखो इंसान आज जमी पर आया है।
सोच रहा एक दूजे को, हाथ पकड़ इठलाया है।
देखो देखो इंसान आज जमी पर आया है।
मार डर को देखो ये आज आगे बढ़ पाया है।
देकर हिम्मत डॉक्टर को शंखनाद बजाया है।
देखो देखो इंसान आज जमी पर आया है।
हो न दूजा आहत, हाथ जोड़ बच पाया है।
हाथ धोकर स्वस्थ रहे बीड़ा आज उठाया है।
देखो देखो इंसान आज जमी पर आया है।
एकता में शक्ति है ईश्वर ने बतलाया है।
तभी इंसान महामारी की जंग आज लड़ पाया है।
देखो देखो इंसान आज जमी पर आया है।
निकले न कोई घर से पंछी कलरव सुहाया है।
अपनों की कीमत आज वो जान पाया है।
देखो देखो इंसान आज जमी पर आया है। - नेहा शर्मा