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बेमिसाल है ये जात आदमी की - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

बेमिसाल है ये जात आदमी की

  • 91
  • 1 Min Read

दो कौड़ी की है नहीं औक़ात आदमी की
हर जगह चारसू होती है बात आदमी की

है मौजूद हरशय कायनात में मग़र ''बशर"
बाकमाल बेमिसाल है ये जात आदमी की

© 'बशर' بشر.

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