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कवितानज़्म
दो कौड़ी की है नहीं औक़ात आदमी की हर जगह चारसू होती है बात आदमी की है मौजूद हरशय कायनात में मग़र ''बशर" बाकमाल बेमिसाल है ये जात आदमी की © 'बशर' بشر.