Or
Create Account l Forgot Password?
कवितानज़्म
लिबास पर अटकी नज़र किरदार कोई क्या देखे हो जूते की चमक पे नज़र मीनार कोई क्या देखे दर ओ दीवार के दरीचों से बशर अक़्सर जिसकी गली कूचे में टिकीहो नज़र घरबार कोई क्या देखे @"बशर"