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घरबार कोई क्या देखे - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

घरबार कोई क्या देखे

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  • 1 Min Read

लिबास पर अटकी नज़र किरदार कोई क्या देखे
हो जूते की चमक पे नज़र मीनार कोई क्या देखे

दर ओ दीवार के दरीचों से बशर अक़्सर जिसकी
गली कूचे में टिकीहो नज़र घरबार कोई क्या देखे

@"बशर"

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प्रपोजल
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वो चांद आज आना
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