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किताब नायाब लिखना - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

किताब नायाब लिखना

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सियासत की स्याह रातों में भाईचारे का ख़्वाब लिखना
होता कैसे ग़ुरबत में ग़रीब के गुजारे का हिसाब लिखना

आखिर येह इंतिखाब भीतो तुझे खुद ही करना है 'बशर'
इस इंतिखाब की ताबीर पे किताब कोई नायाब लिखना

© 'बशर' بشر.

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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ये ज़िन्दगी के रेले
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यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
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प्रपोजल
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वो चांद आज आना
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